दस्तख़त – हिंदी कहानी | लेखक : रीतेय

दस्तख़त | लेखक : रीतेय सुबह का समय था। गोपाल बाबू रोज की तरह तैयार हो रहे थे ताकि सुबह की साढ़े सात वाली ट्रेन पकड़ सके। ऑफ़िस क़रीब ३ घंटे की दूरी पर थी अतः सुबह की ट्रेन छूट जाए तो ऑफ़िस नहीं  जाने के अलावा कोई और उपाय भी नहीं था। राज्य सरकार … Continue reading दस्तख़त – हिंदी कहानी | लेखक : रीतेय